image

सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

20 मार्च, 2018

स्मृति संकल्प यात्रा तीन:

दिक्कत भगतसिंह से नहीं, लाल रंग से है 

कविता कृष्णपल्लवी

कविता कृष्णपल्लवी


नौजवान भारत सभा, स्त्री मुक्ति लीग और बिगुल मजदूर दस्ता द्वारा चलाये जा रहे 'स्मृति संकल्प यात्रा, उत्तराखंड' अभियान के तहत दो दिवसीय पिथौरागढ़ प्रवास के दौरान दूसरे दिन 19 मार्च को पिथौरागढ़ डिग्री कॉलेज में पोस्टर-प्रदर्शनी लगी थी| इस प्रदर्शनी को देखते ही संघी लम्पटों का गिरोह कॉलेज के प्रशासनिक दल-बल को साथ लेकर पहुँच गया| इनका बस एक ही मकसद था कि भगतसिंह और क्रान्तिकारी आन्दोलन पर बनी पोस्टर-प्रदर्शनी को हटा दिया जाये| आते ही यह गिरोह हंगामा करने लगा कि ''लाल रंग को कैम्पस में नहीं रहने देंगे| दिक्कत भगतसिंह से नहीं, लाल रंग से है|'' इस पर वहां के तमाम छात्रों ने कहा कि, ''लाल रंग नहीं, तो भगवा भी नहीं|'' काफी बहस-मुबाहसे और छात्रों के विरोध के बाद कॉलेज का प्रशासनिक अमला बैक फुट पर आ गया| संघी गिरोहों को भी छात्रों की दृढ़ता देखकर खिसक लेना ही मुनासिब लगा|



इसके बाद कॉलेज में ही भगतसिंह पर बनी फ़िल्म 'द लीजेंड ऑफ भगतसिंह' की स्क्रीनिंग की गयी और देश के क्रांतिकारी आन्दोलन और क्रांतिकारियों की ज़िन्दगी पर दिलचस्प बातचीत भी हुई| कॉलेज में कार्यक्रम के पहले पिथौरागढ़ के कोचिंग संस्थानों में जाकर छात्रों के बीच 'स्मृति संकल्प यात्रा, उत्तराखंड' अभियान के उद्देश्य और शहीद क्रांतिकारियों के आदर्शों और सपनों पर बात रखी गयी| शाम को पिथौरागढ़ के मुख्य मार्केट में नुक्कड़ सभा करते हुए व्यापक पर्चा वितरण किया गया|

पिथौरागढ़ में 'स्मृति संकल्प यात्रा, उत्तराखंड' अभियान के पहले दिन 18 मार्च को कुमांऊ मण्डल विकास निगम के पर्यटक विश्राम सेंटर पर पोस्टर - पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गयी और सिमलगैर मार्केट में नुक्कड़ सभा करते हुए व्यापक पर्चा वितरण किया गया|



नुक्कड़ सभा में अपनी बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि, आज साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतें पूरे देश को धार्मिक उन्माद और दंगो की आग में झोंक देना चाहती हैं ताकि इस देश की मेहनतकश जनता की क्रांतिकारी एकजुटता को तोड़ा जा सके और बहुराष्ट्रीय निगमों और कारपोरेटों की सेवा की जा सके| भगतसिंह ने उसी समय समाज में जातिगत धार्मिक वैमनस्य का जहर बोने वाली इन ताकतों से जनता को आगाह किया था और कहा था कि, ''मेहनतकशों को आपस में लड़ने से रोकने के लिए वर्ग चेतना की जरुरत है| गरीब मेहनतकशों को यह समझा देना चाहिए कि उनके असली दुश्मन पूंजीपति हैं| संसार के सभी गरीबों के,चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, रंग, नस्ल और राष्ट्र के हों, अधिकार एक ही हैं| तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम धर्म, रंग, नस्ल, और राष्ट्रीयता व देश के भेदभाव मिटाकर एकजुट हो जाओ और सरकार की ताकत अपने हाथ में लेने का यत्न करो| इन यत्नों से तुम्हारा नुकसान कुछ नही होगा, इससे किसी दिन तुम्हारी जंजीरें कट जायेंगी और तुम्हें आर्थिक स्वतन्त्रता मिलेगी|''

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें